क्या है ‘नेट न्यूट्रैलिटी’?
4/16/2015 10:38:00 PM
क्या है ‘नेट न्यूट्रैलिटी’
जब कोई भी व्यक्ति किसी ऑपरेटर से डाटा पैक लेता है तो
उसका अधिकार होता है कि वो नेट सर्फ करे या फिर स्काइप,
वाइबर पर वॉइस या वीडियो कॉल करे, जिस पर एक ही दर से
शुल्क लगता है। ये शुल्क इस बात पर निर्भर करता है कि उस
व्यक्ति ने उस दौरान कितना डाटा इस्तेमाल किया है। यही नेट
न्यूट्रैलिटी कहलाती है। सरल भाषा में कहें तो आप बिजली का
बिल देते हैं और बिजली इस्तेमाल करते हैं। ये बिजली आप
कम्प्यूटर चलाने में खर्च कर रहे हैं, फ्रिज चलाने में या टीवी
चलाने में, इससे बिजली कंपनी का कोई लेना-देना नहीं होता।
कंपनी ये नहीं कह सकती कि अगर आप टीवी चलाएंगे तो बिजली
के रेट अलग होंगे और फ्रिज चलाएंगे तो अलग। लेकिन अगर नेट
न्यूट्रैलिटी खत्म हुई तो इंटरनेट डाटा के मामले में आपको हर
सुविधा के लिए अलग से भुगतान करना पड़ सकता है। इससे
कंपनियों को तो फायदा होगा, लेकिन आम जनता के लिए इंटरनेट
काफी महंगा हो जाएगा।
कंपनियां क्यों परेशान
टेलिकॉम कंपनियां इस बात से परेशान हैं कि नई तकनीक ने उनके
कारोबार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, जैसे वॉट्सऐप के
मुफ्त ऐप ने एसएमएस सेवा को लगभग खत्म ही कर डाला है,
इसलिए कंपनियां ऐसी सेवाओं के लिए ज्यादा रेट वसूलने की
कोशिश में हैं, जो उनके कारोबार और राजस्व को नुकसान पहुंचा
रही हैं। हालांकि, इंटरनेट सर्फिंग जैसी सेवाएं कम रेट पर ही दी
जा रही हैं !
#IndiaWantsNetNeutarlity
जब कोई भी व्यक्ति किसी ऑपरेटर से डाटा पैक लेता है तो
उसका अधिकार होता है कि वो नेट सर्फ करे या फिर स्काइप,
वाइबर पर वॉइस या वीडियो कॉल करे, जिस पर एक ही दर से
शुल्क लगता है। ये शुल्क इस बात पर निर्भर करता है कि उस
व्यक्ति ने उस दौरान कितना डाटा इस्तेमाल किया है। यही नेट
न्यूट्रैलिटी कहलाती है। सरल भाषा में कहें तो आप बिजली का
बिल देते हैं और बिजली इस्तेमाल करते हैं। ये बिजली आप
कम्प्यूटर चलाने में खर्च कर रहे हैं, फ्रिज चलाने में या टीवी
चलाने में, इससे बिजली कंपनी का कोई लेना-देना नहीं होता।
कंपनी ये नहीं कह सकती कि अगर आप टीवी चलाएंगे तो बिजली
के रेट अलग होंगे और फ्रिज चलाएंगे तो अलग। लेकिन अगर नेट
न्यूट्रैलिटी खत्म हुई तो इंटरनेट डाटा के मामले में आपको हर
सुविधा के लिए अलग से भुगतान करना पड़ सकता है। इससे
कंपनियों को तो फायदा होगा, लेकिन आम जनता के लिए इंटरनेट
काफी महंगा हो जाएगा।
कंपनियां क्यों परेशान
टेलिकॉम कंपनियां इस बात से परेशान हैं कि नई तकनीक ने उनके
कारोबार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, जैसे वॉट्सऐप के
मुफ्त ऐप ने एसएमएस सेवा को लगभग खत्म ही कर डाला है,
इसलिए कंपनियां ऐसी सेवाओं के लिए ज्यादा रेट वसूलने की
कोशिश में हैं, जो उनके कारोबार और राजस्व को नुकसान पहुंचा
रही हैं। हालांकि, इंटरनेट सर्फिंग जैसी सेवाएं कम रेट पर ही दी
जा रही हैं !
#IndiaWantsNetNeutarlity





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